लेफ्टिनेंट जनरल दिनेश सिंह राणा बने अंडमान और निकोबार कमांड के नए कमांडर-इन-चीफ ⚓

भारत की एकमात्र त्रि-सेवा कमांड को मिला नया नेतृत्व
लेफ्टिनेंट जनरल दिनेश सिंह राणा ने अंडमान और निकोबार कमांड (ANC) के 18वें कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार संभाल लिया है। यह भारत की एकमात्र Tri-services Unified Command है, जहां थलसेना, नौसेना, वायुसेना और तटरक्षक बल एकसाथ कार्य करते हैं। उनकी यह नियुक्ति भारत की सुरक्षा रणनीति और संयुक्त सैन्य संचालन को और सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
👨✈️ लेफ्टिनेंट जनरल दिनेश सिंह राणा: प्रोफाइल और अनुभव
- कमीशन वर्ष: 1987 (गढ़वाल राइफल्स में)
- सेवा अवधि: 37 वर्षों का सैन्य अनुभव
- पूर्व पद: डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के महानिदेशक
- अंतरराष्ट्रीय सेवाएं: UN मिशन (Lebanon) और भारतीय सैन्य प्रशिक्षण टीम में सेवा
- शिक्षा:
- नेशनल डिफेंस अकादमी (NDA)
- डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (Wellington)
- नेशनल डिफेंस कॉलेज (दिल्ली)
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रक्षा संस्थानों से उच्च शिक्षा
- सम्मान: PVSM, AVSM, YSM, SM और COAS Commendation Card
- शोध कार्य: चीन के रक्षा आधुनिकीकरण पर PhD
🌊 अंडमान और निकोबार कमांड का सामरिक महत्व
अंडमान और निकोबार कमांड भारतीय उपमहाद्वीप की रणनीतिक स्थिति को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र मलक्का जलडमरूमध्य जैसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की निगरानी करता है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार और सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है।
- स्थान: पोर्ट ब्लेयर
- भूमिका: एकीकृत सैन्य संचालन, समुद्री निगरानी, और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना
- विशेषता: एकमात्र ऐसा सैन्य कमांड जहां सभी तीनों सेनाएं एकीकृत रूप से कार्य करती हैं
🛡️ नई जिम्मेदारी, नए लक्ष्य
लेफ्टिनेंट जनरल राणा की नियुक्ति से यह अपेक्षा की जा रही है कि अंडमान और निकोबार कमांड की रणनीतिक क्षमता और संयुक्त संचालन की दक्षता में और सुधार होगा। उनका विविध सैन्य अनुभव, खुफिया रणनीति और शोध क्षमता आने वाले समय में इस कमांड को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है।
🚀 अन्य महत्वपूर्ण सैन्य नियुक्तियाँ
- Air Marshal Manish Khanna – Southern Air Command के नए कमांडर
- Air Marshal Jasbir Singh Mann – Western Air Command की कमान संभाली
✍️ निष्कर्ष
लेफ्टिनेंट जनरल दिनेश सिंह राणा की यह नियुक्ति केवल सैन्य बदलाव नहीं है, बल्कि यह भारत की त्रि-सेवा सैन्य रणनीति को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अनुभव, शिक्षा और रणनीतिक दृष्टिकोण से सुसज्जित राणा अब उस जिम्मेदारी को संभाल रहे हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा की रीढ़ मानी जाती है।