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13 अप्रैल 1919 – जलियांवाला बाग नरसंहार – भारत के इतिहास का काला दिन 🖤

Published on: April 13, 2025
13 अप्रैल 1919 – जलियांवाला बाग नरसंहार - भारत के इतिहास का काला दिन 🖤
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13 अप्रैल 1919, जलियांवाला बाग नरसंहार – बैसाखी के दिन जनरल डायर ने निर्दोष भारतीयों पर बेरहमी से गोलियां चलवाईं। जानें इस हत्याकांड की पूरी कहानी और उसका भारत की आज़ादी पर क्या असर हुआ। जब अमृतसर के जलियांवाला बाग की धरती निर्दोषों के खून से लाल हो गई

🌾 बैसाखी का दिन – खुशियों से उम्मीद, पर सन्नाटे में तब्दील

साल 1919 का बैसाखी पर्व, पंजाब में हमेशा की तरह उल्लास और मेलों की रौनक लेकर आया था।
लेकिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में इकट्ठा हजारों लोग त्योहार नहीं, बल्कि ✊ अपने हक की आवाज़ बुलंद करने आए थे।

ब्रिटिश शासन द्वारा लाया गया रौलट एक्ट भारतीयों की स्वतंत्रता पर सीधा हमला था। इसके खिलाफ लोग शांति से एकजुट होकर विरोध दर्ज करवा रहे थे — बिना किसी हथियार, बिना किसी हिंसा के।

🔫 जनरल डायर का आदेश – जब सत्ता ने इंसानियत को रौंद डाला

बिना किसी पूर्व चेतावनी के, ब्रिटिश अफसर जनरल डायर सशस्त्र सैनिकों के साथ वहां पहुंचा।
उसने बाग को चारों ओर से घेरकर गोली चलाने का आदेश दे दिया —
एक भी दरवाज़ा खुलने नहीं दिया गया, एक भी चेतावनी नहीं दी गई।

करीब 10 मिनट तक बंदूकें दहाड़ती रहीं।
लोग बचने की कोशिश करते रहे, मां अपने बच्चों को ढकती रही, भाई अपनी बहन को बचाने के लिए आगे खड़ा रहा…
लेकिन गोलियों ने किसी को नहीं बख्शा। दीवारों से टकराकर लौटती आवाज़ें और इंसानी चीखों ने आसमान को भी रोने पर मजबूर कर दिया।

👨‍👩‍👦‍👦 असंख्य जानें गईं, और एक सभ्यता को झकझोर देने वाला लहूलुहान दृश्य

➡️ करीब 1000 से ज्यादा देशभक्तों ने शहादत दी
➡️ कई सौ लोग घायल हुए — जिनमें से कई हमेशा के लिए अपाहिज रह गए।
➡️ शहीदों में बच्चे, महिलाएं, युवा, बुज़ुर्ग — कोई वर्ग ऐसा नहीं था जिसे बख्शा गया हो।

ये न सिर्फ एक बर्बर हत्याकांड था, बल्कि इंसानियत पर गहरा धब्बा भी।

🔥 जिस आग को बुझाना चाहा, वही बन गई आज़ादी की ज्वाला

जलियांवाला बाग का रक्तस्नान ब्रिटिश शासन की क्रूरता की पराकाष्ठा थी, जिसने पूरे भारत को झकझोर दिया।
लोगों की आंखें खुल गईं — अब केवल याचना नहीं, स्वराज ही लक्ष्य बन गया।

इस घटना के बाद भारत की आज़ादी की लड़ाई ने एक नया मोड़ लिया।
यह बलिदान उस चिंगारी को लपटों में बदलने वाला क्षण था, जिसने आने वाले वर्षों में स्वतंत्रता आंदोलन को और भी उग्र बना दिया।

🙏 आज का दिन – याद उन्हें, जो हमारी आज़ादी की नींव बन गए

आज, 13 अप्रैल को जब हम जलियांवाला बाग स्मृति दिवस मनाते हैं,
तो ये सिर्फ अतीत को याद करना नहीं, बल्कि उन शहीदों को सच्चे दिल से 🌹 श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन है,
जिन्होंने अपनी जान देकर आने वाली पीढ़ियों को 🕊 आज़ादी की रौशनी दिखा दी।

उन वीर आत्माओं को कोटि-कोटि नमन,
आपका बलिदान कभी भुलाया नहीं जाएगा।

वंदे मातरम्!

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