आज, 17 अप्रैल 2025, हम भारत के महान दार्शनिक, शिक्षाविद् और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की 50वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उनका जीवन और कार्य भारतीय शिक्षा 📚, दर्शन 🧠 और राजनीति 🏛️ में अमिट छाप छोड़ गए हैं।

🎓 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुत्तनी में हुआ था। उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से दर्शनशास्त्र में स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय और फिर कलकत्ता विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। बाद में वे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पूर्वी धर्म और नैतिकता के प्रोफेसर बने, जहाँ उन्होंने भारतीय दर्शन को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया 🌍।
🧘♂️ दार्शनिक दृष्टिकोण
डॉ. राधाकृष्णन की दार्शनिक सोच अद्वैत वेदांत पर आधारित थी। उन्होंने इस परंपरा को आधुनिक संदर्भ में पुनः व्याख्यायित किया और हिंदू धर्म 🕉️ की गहराई को पश्चिमी आलोचनाओं के सामने प्रस्तुत किया। उन्होंने पूर्व और पश्चिम के बीच सेतु का कार्य किया 🌉, जिससे भारतीय दर्शन को वैश्विक पहचान मिली।
🏛️ राजनीतिक और शैक्षिक योगदान
स्वतंत्र भारत में डॉ. राधाकृष्णन ने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया:
- 🇷🇺 1949-1952: सोवियत संघ में भारत के राजदूत
- 🇮🇳 1952-1962: भारत के पहले उपराष्ट्रपति
- 🇮🇳 1962-1967: भारत के दूसरे राष्ट्रपति
उनकी शिक्षण के प्रति गहरी प्रतिबद्धता के कारण, उनके जन्मदिन 5 सितंबर को भारत में ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है 🎉📖।
🏅 सम्मान और पुरस्कार
डॉ. राधाकृष्णन को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए:
- 👑 1931: ब्रिटिश नाइटहुड
- 🏵️ 1954: भारत रत्न
- 👑 1963: ब्रिटिश ऑर्डर ऑफ मेरिट की मानद सदस्यता
- 🕊️ 1975: टेम्पलटन पुरस्कार (मरणोपरांत)
🕯️ निधन और विरासत
डॉ. राधाकृष्णन का निधन 17 अप्रैल 1975 को चेन्नई में हुआ। उन्होंने भारतीय शिक्षा और दर्शन को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया 📈। उनके विचार और शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं 🌟।
✨ निष्कर्ष
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन भारतीय संस्कृति 🇮🇳, शिक्षा 📘 और दर्शन 🧠 का प्रतीक है। उनकी पुण्यतिथि पर हम उन्हें हृदय से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं 🙏 और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं 💫।